एक सिगरेट सी मिली तू मुझे..
ए आशिकी कश एक पल का लगाया था लत उम्र भर की लग गयी|
ए आशिकी कश एक पल का लगाया था लत उम्र भर की लग गयी|
जी करता है चला जाऊं, हसीनों की महफिल में..
पर क्या करूं ये मेरे दोस्तो, उतना दम ही नहीं है दिल में ||
एक तु मिल जाती तो किसी का कया चला जाता..
तुझे उमर भर के लिए खुशीयाँ ही खुशीयाँ और मुझको मेरा खुदा मिल जाता|
बहुत थे मेरे भी इस दुनिया मेँ अपने,
फिर हुआ इश्क और हम लावारिस हो गए..!
मुझ पर सितम करो तो तरस मत खाना..
क्योकि खता मेरी हैं मोहब्बत मैंने किया हैं|
वो तो अपनी एक आदत को भी ना बदल सका..
जाने क्यूँ मैंने उसके लिए अपनी जिंदगी बदल डाली
बेवफा कहने से पहले मेरी रग रग का खून निचोड़ लेना..
कतरे कतरे से वफ़ा ना मिले तो बेशक मुझे छोड़ देना।
दो लव्ज क्या लिखे तेरी याद मे..
लोग कहने लगे तु आशिक बहुत पुराना है|
सौदा कुछ ऐसा किया है तेरे ख़्वाबों ने मेरी नींदों से..
या तो दोनों आते हैं, या कोई नहीं आता..
कमाल का जिगर रखते है कुछ लोग,
दर्द पढ़ते है और आह तक नहीं करते|
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